मेरे बस के सफ़र से आगे का सफ़र-3
प्रेषक : नयनभाग-2 से आगे :
" क्यों नयन ? हो गए खाली ?"
" हाँ मामी ! आपने तो मेरा हर सपना सच कर दिया !"
" अरे यह क्या नयन ? तुम्हारे लंड में तो अब भी कड़ापन है ! यह तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा है ?"
" क्या मालूम मामी ! लेकिन मैं एक राउंड और पूरा कर सकता हूँ !"
यह कह कर मैंने मामी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा।
मेरा जोश अब पहले से भी ज्यादा था। क्या पता फिर मौका मिले ना मिले ? मैं उनके मम्मे चूसे ही जा रहा था और एक हाथ से चूत सहला रहा था। मैंने अब उनको चाटना चालू किया। उन्होंने अपने हाथों से सर के नीचे
जो तकिया था, उसे कस के पकड़ा था। तो मैंने उनकी बगलों में चूमना चालू किया जिससे मामी पूरी सिहर उठी। धीरे धीरे चूमते हुए मैं नीचे आ गया और चूत चाटने लगा। अब मामी ने धीरे से अपने पैर उठाये और अपनी छाती के पास ले गई जिससे अब उनकी गांड का छेद मेरे सामने आ गया था।
" नयन, अगर तुमको तकलीफ ना हो तो थोड़ा इसे भी चाटो ना !"
मैंने अपनी जीभ गांड के छेद पर रखी और धीरे धीरे अपनी जीभ का जोर बढ़ाया। मामी कसमसा रही थी और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुसवा रही थी।
" मामी क्या इस छेद को कभी किसी ने छेड़ा है ?"
" नहीं नयन, ये तो मेरी चूत को हो नहीं चाटते ! तो इसको क्या चाटेंगे !"
"मामी, मैं इसको चूसूंगा भी और बजाऊंगा भी !"
मामी अब जरा मेरा लंड गीला तो करो !"
मामी ने वापस मेरा लंड मुँह में लिया और चूसना चालू किया।
" अब मामी पेट के बल हो जाओ, मैं आपके पीछे के छेद को छेड़ता हूँ !"
" नयन, संभल के ! मैंने कभी पीछे लिया नहीं है !"
" अरे मामी जी ! तुमने कभी आगे भी नहीं लिया था ! लेकिन अब लेती हो ना !"
मैंने अपनी पकड़ बना ली और उनकी गांड पर लंड का दबाव बनाने लगा।
" नयन, धीरे से करो ! मुझे दुःख रहा है !"
" हाँ मामी ! मैं धीरे से करता हूँ !"
" मामी, एक काम करो ! आप नीचे से गांड उठाओ और धीरे से अन्दर लेने की कोशिश करो !"
लंड तो अब मेरा भी दुखने लगा था क्योंकि गांड का छेद बहुत ही छोटा था। मामी ने अपनी गांड नीचे से उठानी शुरू कर दी थी। वो गांड तो नीचे से उठा रही थी, साथ में चिल्ला भी रही थी।
" नयन, आऽऽऽऽ आआआऽऽऽ बहुत दर्द हो रहा है नयन......!"
अब लंड आधा अन्दर जा चुका था और मामी अब गांड आगे खींचने लगी थी। मुझे लगा कि मामी अब बाहर निकलेगी तो मैंने मामी को पेट के नीचे हाथ डाल कर पकड़ लिया और ऊपर से ऐसा जोर लगाया कि लंड अन्दर धंसने लगा। मामी की तो चीख ही निकलने वाली थी पर उसने जैसे तैसे रोक ली।
" मामी, अब पूरा अन्दर गया है ! अब कैसा लग रहा है ?"
" नयन, बहुत ही दर्द हो रहा है !"
" मामी, थोड़ा सहन करो ! और आपको दर्द ना हो, इस तरह से अपनी गांड नीचे से हिलाओ !"
" हाँ मामी ! बस इसी तरह से धीरे धीरे हिलाओ !"
मामी ने अपना काम चालू कर दिया था।
" मामी, कैसा लग रहा है ?"
" नयन, यह तो अलग ही अनुभव है ! मुझे बहुत ही मजा आ रहा है ! तुम भी कमर हिलाओ ना ! मजा आ रहा है बहुत !"
अब मैंने अपने शॉट धीरे से चालू किये जिससे उनको तकलीफ़ ना हो।
लेकिन मामी पूरे जोश में आ गई थी, वो तो नीचे से गांड हिला हिला कर लंड ले रही थी।
मैं भी जोरों पर था और और एक हाथ से उनकी चूची भी दबा रहा था।
बहुत देर ये खेल चला !
" मामी, क्या बस करूँ गांड की ठुकाई?"
" हाँ नयन, अब जरा मेरी चूत पर जोर लगाओ !"
मैंने गांड से लंड बाहर निकाला और उनको घोड़ी बना कर उनकी चूत में डाल दिया और पूरी गति से कमर हिलाने लगा।
मामी की सिसकारियाँ रुक रुक कर निकल रही थी जो के मेरे धक्के के कारण हो रहा था।
" मामी, कैसा लग रहा है?"
" नयन, मत पूछो ! तुम अपना काम चालू रखो !"
" नयन ! आआऽऽऽ आआआआअ....... क्या मजा आ रहा है ! मैं तो पागल थी जो तुम्हें चोदने को मना कर रही थी !"
" नयन, मैं निकलने वाली हूँ मुझे कस लो नयन ! आआऽऽऽ आआआआअ....... ! "
मैंने मामी की हालत जान ली और पीछे से उनको कस कर पकड़ लिया।
मामी ने अपनी चूत को मेरे लंड पर कस लिया जिस कारण मैं भी मचलने लगा।
" मामी, ऐसे ही चूत से दबाओ मेरे लंड को ! मैं भी निकलने वाला हूँ............मामी ऽऽऽ ! "
और मैं और मामी एक साथ झड़ने लगे। मेरे लंड का फव्वारा मामी की चूत में खाली हो रहा था और मामी भी अपनी चूत के होंट दबा दबा कर मेरा पूरा लंड खाली करवा रही थी।
" क्यों नयन, मजा आया ?"
" बहुत मामी .................बहुत मजा आया !"
"अरे अभी कहाँ ? मजा तो अब तुझे दूंगी जो तुम जिन्दगी भर नहीं भूलोगे !"
और मामी ने मेरा मुरझाया हुआ लंड अपने मुँह में लिया और अपनी जबान से और दातों से उसे चूसने लगी। मेरी हालत तो ख़राब हो रही थी, एक तो पहले ही मैं दो बार झड़ चुका था।
" मामी बस करो ना ! अब मेरे लंड में दर्द हो रहा है !"
" नयन, यह दर्द बस थोड़ी देर सहन करो ! फिर देखो !"
थोड़ी देर बाद मेरी लंड में जान आने लगी और वो वापिस पहले की तरह तैयार हो गया। मामी मेरे लंड को निहार निहार कर चाट रही थी। शायद उनको लंड चूसना बहुत ही पसंद था।
" नयन, तुम्हरे लंड में तो बड़ा जोर हैं ! यह तो तीसरी बार भी तैयार हो गया है?"
" यह तो आप के मुँह में लेने की कला के वजह से हो रहा है !"
" अब मेरी समझ में आया कि मेरी गांड में इतना दर्द क्यों हुआ ! यह तो कितना बड़ा है !"
" अब आपको पता चला ? जब चूत और गांड दोनों चोद कर हो गया ?"
" अरे तुमने देखने ही कहाँ दिया? जब देखो मशीन चालू थी तुम्हारी !"
" हाँ मामी ! अब क्या करना है मुझे ?"
" नयन, चूत और गांड तो तुमने चोद दी ! अब मैं तुम्हें मुँह चोदना सिखाती हूँ।
मामी ने मुझे घोड़ा बना दिया और मेरे नीचे आ कर नीचे से मेरे लंड को पकड़ा।
" नयन, जैसे तुमने मेरी चूत चोदी और मेरी गांड चोदी, उसी तरह अब मेरे मुँह को चूत समझ कर जोर से चोदो !"
मैंने जैसे ही अपनी कमर हिलाना चालू किया, मामी ने अपने मुँह से कमाल दिखाना चालू किया, नए-नए तरीके से मेरे लंड को मुँह में चूस रही थी, कभी अपने होंटों का दबाव बना कर, कभी अपनी जबान से सहला कर मुझे पागल कर रही थी।
मैं भी अब पूरी गति से उनके मुँह में लंड को हिला रहा था। मैं अब घुटनों के बल बैठ गया और मामी वैसे ही नीचे से सर हिला के अपने मुँह को खुद चुदवा रही थी।
मैंने एक हाथ पीछे किया और उनकी चूत में उंगली डाल दी। मामी अब आगे से सर हिला के मुँह को चुदवा रही थी और कमर हिला एक चूत में उंगली ले रही थी। अब मेरा बदन अकड़ने लगा था। मामी अपने मुँह का कमाल दिखा रही थी। मैं अब अपने हाथों पर आ गया और कमर हिला हिला के मामी का मुँह चोदने लगा।
मामी पूरा लो ! खा जाओ ! मैं तो झड़ने वाला हूँ ऽऽ !!
और एक जोरदार धक्का लगाकर मैं उनके मुँह में झड़ गया। पहले की तरह मामी ने मेरा वीर्य पूरा चाट लिया और मेरे लंड को साफ कर दिया।
फिर हमने उठ कर कपड़े पहन लिए।
" मामी, मैं निकलता हूँ ! आपने आज मेरा सपना पूरा कर दिया ! अब मैं आप से दोबारा कुछ नहीं मांगूंगा !"
" नयन भले ही तुम मुझे दोबारा कुछ नहीं मांगो, लेकिन तुमने आज जो ख़ुशी मुझे दी है, अब मैं तुमसे रोज तुम्हारा लंड मांगूंगी ! तो फिर नयन कल दोपहर को आओगे ना? मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी।"
तो दोस्तो ! कैसी लगी मेरी आगे की कहानी ?
अब तो मैं इतना चोदने का आदि हो गया हूँ कि जब तक दो बार झड़ता नहीं, मैं नीचे उतरता ही नहीं।
तो अब मैं 29 साल का हूँ और मुंबई में रहता हूँ।
मुझे जरूर मेल करें कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी !
nayandeshmukh78@rediffmail.com
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