Friday, June 11, 2010

तपन से बना बहन चोद

तपन से बना बहन चोद

प्रेषक : श्रेया आहूजा
मेरा नाम तपन घोष है! मैं आसनसोल का रहने वाला हूँ ! आज मैं आपको ऐसी कथा बताने जा रहा हूँ जो सुनकर सब कहेंगे तपन बना बहन चोद !
मैं अपनी माँ का एकलौता बेटा हूँ! मेरी एक बड़ी बहन है छाया ! मुझसे उम्र में चार साल बड़ी है! जब मैं अपने यौवन का स्वाद चख ही रहा था तब मुझे पता चला कि मैं हरामी हूँ .. उनकी अपनी संतान नहीं हूँ ! मेरे फ्लैट-सोसाईटी वाले मुझे छेड़ते थे इस बात को लेकर ! पापा मम्मी अलग कमरे में सोते थे और मैं और दीदी बाजू वाले कमरे में सोते थे।
वो मेरा बहुत ध्यान रखती थी ! मैं नया नया मुठ मरना शुरू किया था ! स्कूल के दोस्त कहते थे अगर किसी लड़की मुठ से मरवाई जाए तो क्या कहना . मैं सोचता था कि छाया मेरी अपनी बहन तो है नहीं ! क्यूँ न इस पर ही कोशिश करूँ?
एक रात वह बिलकुल मदहोश होकर सो रही थी! मैं अपना लंड उसके मुलायम हाथ में रखा ! आह अहह कितनी नर्म हैं दीदी की उंगलियाँ ! मज़ा आ गया ! फिर मैंने उसकी हथेली में अपना वीर्य निकाल दिया!
सुबह मैंने देखा वो अपने हाथ धो रही थी ...
दीदी क्या हुआ ??
अरे देखो ना क्या लग गया है सोते सोते ! साबुन जैसा चिकना है !!
दीदी कैसी खुशबू है उसकी ?
उसने सूंघा, अहह पता नहीं अजीब सी है !
बेचारी अब तक कुँवारी चूत लेकर फिर रही है ... मैं तो बेकार में ही सुनीश के साथ शक करता था ?
सुनीश की पास में परचून की दुकान थी।
एक दिन मैं स्कूल से जल्दी आ गया, घर का दरवाज़ा खुला था ..
मैंने अन्दर जाकर देखा कि सुनीश दीदी को चोद रहा था।
दीदी की गोरी-गोरी टाँगें फैली हुई थी और सुनीश की काली काली गांड हवा में उछल उछल के घस्से मार रही थी।
दीदी की गोरी गांड देख कर जैसे मेरा खड़ा हुआ कि सुनीश मुझे देख वहाँ से रफूचक्कर हो गया ...
तपन ! मम्मी को मत बताना ! मैं तुम्हारे सामने हाथ जोड़ती हूँ !!
मैं ज़रूर बताऊंगा दीदी ... मैं नाराज़ होकर बोला।
ठीक है ! बता देना ! फिर पापा को मैं भी तुम्हारे बारे बता दूंगी कि तुम रात में मेरे हाथ में मुठ मारते हो। हरामी कहीं के...
मैं चुप हो गया ... रात आई .. मुझे नींद नहीं आ रही थी ...
मैंने दीदी को पकड़ लिया।
अहह ! तपन यह क्या कर रहे हो ?
अपनी टांगें मैं उसकी नायटी में फेरने लगा ...
नायटी में हाथ डाल कर उसकी पैंटी को छुआ !
आह्ह ! नहीं ! मैं तुम्हारी दीदी हूँ !
कैसी दीदी? मैं तो हरामी हू ना ?
कहकर मैंने उसकी पैंटी खोल दी ... उसकी जांघें ! मानो जन्नत ..
आओ ना ! जो कसर सुनीश ने छोड़ी है, मैं पूरा किये देता हूँ !
ओह! आ जा मेरे राजा ! चढ़ जा !
उसने अपने नायटी हटाई, मैं उसके मम्मों को चूसने लगा।
दूध नहीं निकलता क्या ? मैं निचोड़ते हुए बोला।
हट पागल ..
उसने मेरे लौड़े को अपने चूत में घुसाया !
अहह ! मज़ा आ गया छाया दी !
अहह अह !
मैं स्खलित हो गया।
बस बच्चे ! दो चार ही बार में ही?
सुनीश तो पचास बार कम से कम करता है ! चलो मैं तुम्हें सिखाती हूँ !
उसने मेरे लण्ड को चूसा, जब खड़ा हो गया तो उसने अपने प्रवेश द्वार पर डाला। मैंने धक्के मारने शुरू किये ..
बस छाया दी निकल जायेगा ..
उसने पूछा- बता 5 गुने 5 ?
मैं सोचने लगा और मैं इस बार स्खलित नहीं हुआ ..
वाह दीदी ! क्या आईडिया है ..
मैंने इस तरह बहुत बार उस रात छाया दी को चोदा।
मैंने मुठ उसके होंठो पर मारी ...
ओह तपन कितना शरारती हो ?
मैंने उसे अपने माल से नहला दिया।
अगले दिन छुट्टी थी ..
हम दोनों साथ में नहाए..
मैं उसे रोज़ चोदता था..
वो कहती थी- तुम सुनीश से भी एक्सपर्ट हो गए हो..
आज उसकी शादी है ..
मेरे दीदी के शादी में जजूल आना।
shreyaahujacool@rediffmail.com

1 comment:

  1. अपनी दीदी का पुदी भी चाट लेता
    तुम तो महा मादर चोद हो दोस्त Good work

    ReplyDelete